स्वस्थ भारत मीडिया
साक्षात्कार / Interview

2025 तक लंबी छलांग लगा सकती है भारत की बायो इकनॉमी : सुधांशु व्रती

इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF)-2022 के सफल आयोजन के पीछे जैव प्रौद्योगिकी विभाग के फरीदाबाद (हरियाणा) में स्थित क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (RCB) की महत्वपूर्ण भूमिका है। देश के प्रख्यात इम्यूनोलॉजिस्ट एवं माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर सुधांशु व्रती RCB के कार्यकारी निदेशक हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के पूर्व वैज्ञानिक सुधांसु व्रती ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के पूर्व डीन भी रहे हैं। जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आपको वर्ष 2003 में सर्वोच्च भारतीय विज्ञान पुरस्कार ‘‘नेशनल बायोसाइंस अवार्ड फॉर करियर डेवलपमेंट’ से सम्मानित किया गया। IISF के दौरान प्रोफेसर सुधांशु व्रती के साथ सुप्रिया पांडेय की बातचीत के प्रमुख अंश प्रस्तुत हैं।

प्रश्नः देश में साइंस फेस्टिवल जैसे कार्यक्रमों की जरूरत क्यों हैं? इसकी मूल अवधारणा क्या है?

उत्तरः विगत दो दिन से यहाँ के माहौल में साफ देखा जा सकता है कि विद्यार्थियों और नौजवानों में साइंस फेस्टिवल को लेकर कितना उत्साह है। कितनी बड़ी संख्या में लोग महोत्सव में शामिल हो रहे हैं अथवा विज्ञान से जुड़ रहे है। विज्ञान को घर-घर तक पहुंचाना, विज्ञान को आम जनता से रूबरू कराना ही इसकी मूल अवधारणा है, जिससे विशेषकर विद्यार्थियों और नौजवानों की रुचि इस क्षेत्र में जागे।

प्रश्नः आईआईएसएफ जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित करते वक्त आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? और आप उनका समाधान कैसे करते हैं?

उत्तरः ये बहुत बड़ा फेस्टिवल है, यहां 15 कार्यक्रम समानांतर रूप से चल रहे हैं। इतने बड़े कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए बहुत बड़ी टीम की जरूरत होती है। अच्छी बात ये है कि विज्ञान प्रसार और विभा इस कार्यक्रम को आयोजित करने, रूपरेखा बनाने और इसका प्रचार-प्रसार करने में हमारी मदद कर रहे हैं। सबसे बड़ा चैैलेंज, जो हमारे साथ था, वह था समय की कमी। हमें इसका प्रस्ताव नवंबर, 2022 में मिला। अगर ज्यादा समय मिला होता तो हम कार्यक्रमों को और बेहतर तरीके से आयोजित कर पाते। लेकिन, अभी भी सभी कार्यक्रम बहुत अच्छे तरीके से हो रहे हैं। विद्यार्थी और युवा इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

प्रश्नः ऐसे भव्य आयोजनों का क्या परिणाम निकलकर आता है? क्या ये अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर पाते हैं?

उत्तरः मुझे लगता है कि हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। जब मैं मुख्य हॉल से होते हुए आ रहा था, तो मुझे करीब-करीब एक हजार बच्चों की लंबी कतार नजर आई और जब मैं अंदर आया तो वहाँ करीब एक हजार बच्चे बैठे हुए थे। प्रतिदिन फेस-टू-फेस कार्यक्रमों में स्कूली बच्चों की ही संख्या तीन हजार तक देखने को मिलती हैं, जिससे साफ जाहिर होता है कि उनमें विज्ञान के प्रति रुचि है। हम उस रुचि को और जागृत करने में सफल हो रहे हैं।

प्रश्नः आपने अपनी पीएचडी ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी से पूरी की है,  ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों एवं तकनीक में भारत की तुलना में आप क्या अन्तर पाते हैं?

उत्तरः मैंने 1981 में पीएचडी की और मुझे याद है कि उस समय हमारे देश में जिस क्षेत्र में मैं पीएचडी करना चाहता था अर्थात वायरोलॉजी के क्षेत्र में, उसमें न के बराबर काम हुआ था। लेकिन मैं मॉलीक्यूलर लेवल पर वायरोलॉजी के बारे में जानना चाहता था। इसलिए मैंने ऑस्ट्रेलिया की एक बड़ी यूनिवर्सिटी को चुना। लेकिन मैं कहना चाहूँगा कि पिछले करीब 25-30 वर्षों में हमारे देश में बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च के संसाधनों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

प्रश्नः भारत 2047 में आजादी के 100 वर्ष पूरे कर रहा है, प्रधानमंत्री जी के लक्ष्य 2047 को पूरा करने के लिए बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर क्या योगदान दे रहा है?

उत्तरः देश के विकास के लिए इकनॉमी को आगे बढ़ाना बहुत जरूरी है। बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर, जिसको अब हम बायोइकनॉमी के नाम से जानते हैं, वो पिछले छह-सात वर्षों से बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ा है। हमारी बायोइकनॉमी तकरीबन 80 बिलियन डॉलर की है। वर्ष 2025 तक हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह बढ़कर 150 बिलियन डॉलर हो जाए और मुझे लगता है कि 2047 तक आराम से एक हजार बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगी। देखा जाए तो ये बहुत बड़ा आँकड़ा है और अगर हम इसे हासिल कर पाए तो देश की इकनॉमी में हमारा बहुत बड़ा योगदान होगा।

प्रश्नः स्टार्टअप्स आत्मनिर्भर भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, तो आपके अनुसार बायोटेक सेक्टर मे स्टार्टअप्स की क्या स्थिति है?

उत्तरः हर क्षेत्र में, खासकर बायोटेक सेक्टर में पिछले 3-4 वर्ष में स्टार्टअप्स की एक तरह से बाढ़ आयी हुई है। नये स्टार्टअप्स खुल रहे हैं, उनको मौके मिल रहे हैं, अनुकूल परिस्थितियां मिल रहीं हैं और सपोर्ट मिल रहा है। उदाहरण के तौर पर फरीदाबाद में हमने बायो इनक्यूबेटर रीजनल सेंटर बायो टेक्नोलॉजी के साथ खोला हुआ है और आज से करीब तीन-चार वर्ष पूर्व जब हम उसकी शुरुआत कर रहे थे तब मुझे लगा था शायद इतने स्टार्टअप्स फरीदाबाद क्षेत्र में हमें न मिल पाए। लेकिन, आज की तारीख में लगभग 100 स्टार्टअप्स को हम लोग सपोर्ट कर पाए हैं। स्टार्टअप्स ने हमारा 99 प्रतिशत स्थान घेरा हुआ है। नए स्टार्टअप्स को संयोजित करने के लिए हमारे पास जगह नहीं बची है, जिससे पता चलता है कि स्टार्टअप्स के प्रति लोगों का कितना रुझान बढ़ गया है।

प्रश्नः आईआईएसएफ-2022 की थीम को लेकर आपके क्या विचार हैं?

उत्तरः माननीय प्रधानमंत्री ने अगले 25 साल यानी 2047 तक को अमृतकाल घोषित किया है। उनका मानना है कि अगले 25 वर्षों में हमारे देश में जो काम होना है वह देश के लिए अमृत के समान सिद्ध होना चाहिए जिससे कि हम एडवांस इकनॉमी के रूप में जाने जाएं।

प्रश्नः देश के विकास में युवाओं की भूमिका को देखते हुए उनके लिए कोई संदेश?

उत्तरः विज्ञान एक साधना है। विज्ञान के क्षेत्र में कड़ी मेहनत की जरूरत है। हमें पता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जरिए ही इस देश को आगे बढ़ा सकते हैं। ऐसे में हमें अपनी वैज्ञानिक सोच को बढ़ाना है, हमें विज्ञान के प्रति आम जनता में रुचि बढ़ानी है। जब हम ऐसा कर पाने में सफल होंगे तभी हम देश को आगे बढ़ा पाएंगे।

“आज की तारीख में मैं बता सकता हूँ कि हमारे देश में लगभग दस से पंद्रह प्रयोगशाला ऐसी हैं, जिनमें संसाधन और हमारे वैज्ञानिकों की विशेषज्ञता दुनिया की किसी भी अच्छी लैब के बराबर है। मैं तो यहाँ तक कहना चाहूंगा कि कुछ लैब में हम दुनिया से अग्रणी हैं। अब हमारे देश में वैज्ञानिक शोध के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं है और हम अच्छे से अच्छा शोध प्रस्तुत करने में समर्थ हैं।”

(प्रोफेसर सुधांशुव्रती, कार्यकारी निदेशक, क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (आरसीबी), फरीदाबाद (हरियाणा)

Related posts

गरीबी उन्मूलन की दिशा में जनऔषधि एक क्रांतिकारी कदम हैः मनसुख भाई मांडविया, रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री, भारत सरकार

Ashutosh Kumar Singh

स्वस्थ भारत यात्रा का तीसरा चरण शुरू

Ashutosh Kumar Singh

गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवा में तेजी से बढ़ रहा भारत: डाॅ. मीणा

admin

Leave a Comment