नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। आत्मनिर्भरता के दावों के बावजूद दवा निर्माण के क्षेत्र में चीन पर निर्भरता बढ़ती ही जा रही है। हाल ही स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था कि दवा निर्माण में 38 तरह की सामग्री भारत खुद बनाने लगी है। उधर सच्चाई यह है कि चीन से थोक दवा आयात पिछले नौ वर्षों में 62 से बढ़कर 75 फीसद हो गया है।
केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट में खुलासा
इस बारे में मीडिया में चल रही केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट कहती है कि सरकार की उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन योजना (PLI) के तहत विभिन्न घरेलू विनिर्माण परियोजनाओं के चालू होने के बावजूद भारत चीन पर काफी हद तक निर्भर है। आंकड़ों के मुताबिक चीन से थोक दवा का आयात, मूल्य और मात्रा दोनों लिहाज से वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर क्रमशः 71 और 75 फीसद हो गया।
हर साल बढ़ती रही चीन की हिस्सेदारी
वित्त वर्ष 2013-14 में यह आंकड़ा 64 और 62 फीसद था। तब से 2022-23 तक चीन से कुल थोक दवा आयात करीब सात फीसद की दर से बढ़ा। 2013-14 में देश ने दवा का कुल 5.2 अरब डॉलर का आयात किया। इसमें से 2.1 अरब डॉलर का आयात चीन से हुआ। इसी तरह 2018-19 में कुल 6.4 अरब डॉलर के आयात में चीन का हिस्सा 2.6 अरब डॉलर और 2020-21 में सात अरब डॉलर के आयात में 2.9 अरब डॉलर रहा।