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भूकंप के लिहाज से इमारतों के आकलन का नया तरीका विकसित

नयी दिल्ली। IIT मंडी के शोधकर्ताओं ने हिमालय क्षेत्र में भूकंप झेलने की इमारतों की क्षमता का आकलन करने के लिए एक नया तरीका विकसित किया है। भूकंप के प्रति इमारतों की संवेदनशीलता का पता लगाने की यह पद्धति सरल है, जो भूकंप के प्रति भवनों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक सुदृढ़ीकरण और मरम्मत कार्यों की प्राथमिकता तय करने में उपयोगी हो सकती है। व्यापक क्षेत्र सर्वेक्षणों के माध्यम से शोधकर्ताओं ने मंडी के हिमालय क्षेत्र में इमारतों के प्रकार और उनकी विशिष्टताओं पर आधारित डेटा एकत्र किया है जो भूकंप के प्रति इमारतों की संवेदनशीलता से संबंधित है। पहाड़ी क्षेत्रों में इमारतों के तल की गणना के लिए दिशा-निर्देश स्थापित करने और उन इमारतों की रैपिड विज़ुअल स्क्रीनिंग (RVS) के लिए शोधकर्ताओं ने एक संख्यात्मक अध्ययन किया है।

RVS प्रपत्र पर आधारित स्क्रीनिंग

इमारतों की स्क्रीनिंग पद्धति एकपन्ने के RVS प्रपत्र पर आधारित है, जिसे भरने के लिए अधिक विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती। विभिन्न संवेदनशीलता विशेषताओं को ध्यान में रखकर यह प्रपत्र केस स्टडी क्षेत्र की इमारतों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इससे प्राप्त अवलोकनों के उपयोग से की गई गणना इमारतों के लिए एक भूकंपीय भेद्यता स्कोर उत्पन्न करती है, जो कमजोर इमारतों को मजबूत संरचनाओं से अलग करती है और रखरखाव तथा मरम्मत के लिए बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है। गणना प्रक्रिया को इस तरह डिजाइन किया गया है कि किसी इमारत का भूकंपीय भेद्यता स्कोर प्राप्त करने में मानव पूर्वाग्रह या निर्धारक की व्यक्तिपरकता की संभावना बेहद कम होती है।

शोध पत्रिका में प्रकाशित

डॉ संदीप कुमार साहा, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग, IIT मंडी के नेतृत्व में यह अध्ययन उनके पीएच.डी. छात्र यति अग्रवाल ने किया है। यह अध्ययन शोध पत्रिका बुलेटिन ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग में प्रकाशित किया गया है। वे बताते हैं-हमने भारतीय हिमालयी क्षेत्र में प्रबलित कंक्रीट (RC) इमारतों की स्क्रीनिंग के लिए एक प्रभावी तरीका तैयार किया है, ताकि इमारतों की स्थिति के अनुसार मरम्मत कार्य को प्राथमिकता दी जा सके और आसन्न भूकंप के जोखिम को कम किया जा सके। शोधकर्ता यती अग्रवाल कहती हैं-हमने दिखाया है कि प्रस्तावित विधि पहाड़ी क्षेत्रों में भूकंप की स्थिति में प्रबलित कंक्रीट इमारतों को होने वाले संभावित नुकसान के अनुसार अलग करने में उपयोगी है।

इंडिया साइंस वायर से साभार

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