नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। हिमालय की अत्यधिक ऊंचाई वाले गांवों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रमाण निर्देशक मुनमुन ढालारिया की ‘छू मेड ना यूल मेड’ (Voice from the roof of the world) सीरियल में मिला है जिसे IFFI में भारतीय पैनोरमा गैर-फीचर श्रेणी के तहत दिखाया गया। यह दस भागो के सीरियल का भारत एपिसोड है। नैरेशन प्रख्यात अभिनेत्री दिया मिर्जा का है।
सीमा से परे जलवायु परिवर्तन
इस बारे में गोवा में निर्देशक मुनमुन ढालारिया ने इस फिल्म निर्माण के लिए अपने दृष्टिकोण और मिशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कैसे जलवायु परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा है जो दुनिया भर में हर किसी को प्रभावित करता है। इस फिल्म के लद्दाखी भाषा में शीर्षक का अर्थ है-जल नहीं, गांव नहीं (No water No village)। फिल्म के माध्यम से निर्देशक ने हिमाचल प्रदेश के स्पीति और लद्दाख के ज़ांस्कर क्षेत्र के कृषि गांवों के सामने आने वाली पानी की चुनौतियों को सामने लाने का प्रयास किया है।
स्पीति की कठिनाइयां इसी का नतीजा
उन्होंने कहा कि वह एक वन्य जीव फिल्म निर्माता हैं और हिमालय के ऊँचे क्षेत्रों में बसे समुदायों से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा-मैं खुद हिमाचल प्रदेश से आती हूं और पिछले 7 वर्षाे से मैं स्पीति घाटी में आवागमन करती रही हूं और यह विचार माइनस 20 डिग्री में रहने वाली महिलाओं के जीवन की विलक्षता को देखकर मुखरित हुआ। जैसे ही मैंने स्पीति में समुदाय के साथ रहना शुरू किया, मुझे एहसास हुआ कि जलवायु परिवर्तन ही इसकी असली वजह है।
सबको देखनी चाहिये ये एपिसोड
उन्होंने कहा कि वह निरंतर तौर पर अनियमित होते हिमपात और पिघलने वाले ग्लेशियरों और यह भारत में पहाड़ों पर अत्यधिक ऊंचाई पर बसे गांवों के कृषक समुदायों को यह कैसे प्रभावित करता है, इस विषय पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। उन्होंने कहा-मैं वास्तव में चाहूंगी कि इस फिल्म को भारतीय दर्शक विशेष रूप से हिमाचल, उत्तराखंड और दिल्ली से आगे पहाड़ों के सभी ऊपरी क्षेत्रों में देखा जाए जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से सीधे तौर पर प्रभावित हैं।