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कोविड-19 के इन योद्धाओं को प्रणाम

कोविड-19, जिसे कोरोनावायरस के रूप में भी जाना जाता है, उसने पूरी दुनिया में लोगों को अस्‍त-व्‍यस्‍त कर दिया है और ऐसी स्थिति में खड़ा कर दिया है कि उनके लिए अनुमान लगाना भी मुश्किल है कि क्‍या हो रहा है। ‘वर्ल्डोमीटर’के अनुसार, इसको लिखे जाने तक दस लाख से अधिक लोग पहले ही इस वायरस के शिकार हो चुके थे और संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। 75,000 से अधिक लोग मौत के मुंह में जा चुके हैं और अभी गिनती चल रही है। भारत में, इसने 5000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया है और अब तक लगभग 110 लोगों की मौत हो चुकी है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की वरिष्ठ वैज्ञानिक ज्योति शर्मा और अंतर्राष्ट्रीय द्विपक्षीय सहयोग प्रभाग के प्रमुख एस.के. वार्ष्णेय ने इस फीचर में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारतीय वैज्ञानिकों और संस्थानों द्वारा किए गए प्रयासों का विवरण दिया है।

 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक संभावित टीकेकी अपनी खोज में दुनिया भर के संसाधनों और वैज्ञानिकों को शामिल किया है। भारत डब्ल्यूएचओ में इस मामले में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा, दुनिया भर के हजारों शोधकर्ता कोविड-19 के खिलाफ लड़ने के लिए क्राउडफाइट कोविड-19 जैसे अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्मों के माध्यम से अपनी विशेषज्ञता, समय और मदद की पेशकश कर रहे हैं। शोधकर्ता अपनी सेवाओं को स्वेच्छा से प्रदान करने के लिए ट्विटर, फेसबुक और लिंकडिन जैसे सोशल मीडिया ऐप के माध्यम से भी जुड़ रहे हैं।

लड़ाई अभी शुरू हुई है

कम से कम अगले 12-18 महीनों तक इसका कोई टीका नहीं दिखने से ऐसा लगता है कि इस घातक वायरस से मानव जाति को बचाने की लड़ाई अभी शुरू हुई है। संयुक्‍त रूप से इस बीमारी से लड़ने के बारे में कोई वास्तविक वैश्विक सर्वसम्मति नहीं बनने से, प्रत्येक राष्ट्र को अपने नागरिकों की रक्षा करने के लिए उनकी खुद ही देखभाल करनी पड़ रही है।

भारत की त्वरित प्रतिक्रिया

भारत के 1.3 बिलियन से अधिक की आबादी के साथ, भारत में कोरोनोवायरस के फैलने और उसकी प्रतिक्रिया तंत्र को दुनिया के बाकी देशों द्वारा करीब से देखा जा रहा है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत अपनी क्षमता और ताकत के साथ इस वायरस से जूझ रहा है। आपदा प्रबंधन कानून 2015 को लागू करते हुए, भारत ने 25 मार्च को 21 दिनों की अवधि के लिए सम्‍पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की। लॉकडाउन की शुरुआत में घोषणा की डब्ल्यूएचओ ने काफी सराहना की, जबकि संक्रमित लोगों की संख्‍या 400 से कम थी। एक कोविड-19 टास्क फोर्स का गठन और एक दूसरे से दूरी बनाए रखने (सोशल डिस्टेंसिंग)और अन्य गंभीर उपायों की घोषणा की गई। ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण उपायों की जानकारी नीचे दी गई है।

  • कोविडप्रभावित लोगों के संपर्क ढूंढने शुरू किए।
  • सभी मौजूदा वीजा (राजनयिक, आधिकारिक, संयुक्त राष्ट्र/ अंतर्राष्ट्रीय संगठन, रोजगार, परियोजना वीजा को छोड़कर) को निलंबित किया गया।
  • 15 अप्रैल तक सभी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों, ट्रेनों और बस सेवाओं को निलंबित कर दिया गया।
  • गरीबों को लक्षित करते हुए आरंभिक आर्थिक उपाय किए गए ताकि इस अवधि के दौरान कोई भी भूखा न रहे।
  • भारतीय रेलवे के डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड के रूप में परिवर्तित किया गया।
    अनुसंधान और विकास संस्‍थानों ने चुनौती स्‍वीकार की

कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिएएक तरफ ‘पूरी सरकार’भारत की ओर से अति सक्रिय, पहले से प्रयास कर रही है, दूसरी तरफ भारत और शेष दुनिया के बीच व्यापार मेंमंदी लक्षित उद्देश्‍य हासिल करने में अड़चन पैदा कर रही है। व्यापार में मंदी लड़ाई के लिए अनिवार्य अनेक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर रही है। ऐसी आवश्यक वस्तुओं की सूची में कोविड-19 परीक्षण किट, मास्क, एल्‍कोहल युक्‍त सैनिटाइज़र, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए ड्रेस मेटिरियल, रोगियों के लिए वेंटिलेटर (साँस लेने के उपकरण) आदि शामिल हैं। चुनौती यह है कि इनका उत्पादन जल्द से जल्द और थोक में किया जाए। इस स्थिति ने भारत सरकार को मेक इन इंडिया ’कार्यक्रम को जोशपूर्ण तरीके से सक्रिय करने और देश के विभिन्न अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) संस्थानों को शामिल करने के लिए प्रेरित किया है।

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24 घंटे शोधकर्ता कार्य कर रहे हैं…

स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के नेतृत्व में, देश के वैज्ञानिक समुदाय को सक्रिय करने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाया गया है। इस दृष्टिकोण ने बेहतरीन कार्यप्रणाली को साझा करने, कार्य में सहयोग, आवश्यकता-आधारित नवाचारों के विकास तथा अनुसंधान कार्यों के दोहराव से बचने के लिए एक साझा मंच प्रदान करने में मदद की है।इतने कम समय में, समय से पहले काम समाप्‍त करने के लिए,भारत नए परीक्षण किट, सुरक्षात्मक उपकरण, सांस लेने के उपकरण आदि विकसित करने के लिए देश के हजारों शोधकर्ताओं को चौबीसों घंटे काम करने में लगाने में सक्षम हुआ है।

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भारत की सर्वोच्च विज्ञान और टेक्‍नोलॉजी एजेंसी और उसके प्रयास

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) भारत की सर्वोच्च विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस और टी) एजेंसी है। डीएसटी और सहयोगी मंत्रालयों के अधीन संस्थानों की मदद से, डीएसटी कोविड-19 से संबंधित अनेक मुद्दों के समाधान के लिए भारत में उपयुक्त तकनीकों का खाका और उच्‍च गुणवत्‍ता वाले सामान को तैयार करने के लिए समन्वित प्रयास करने का बीड़ा उठा रहा है। यह उन समाधानों के लिए भी है जो देश के लिए अधिक प्रासंगिक हैं और देश को कोविड-19 महामारी से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के लिए तैयार करने में मदद करने के लिए भी हैं।
डीएसटी ने अपने स्वायत्त संस्थानों और वैधानिक निकायों के माध्यम से कोविड-19 से लड़ने के लिए तीन तरीके स्थापित किए हैं:
 
क. अनुसंधान और विकास सहायता, सुविधाजनक और विनिर्माण सहयोग की आवश्‍यकता वाले व्यवहार्य उत्पादों के साथ स्टार्टअप की सुविधा की आवश्यकता के लिए समाधान कीविस्‍तृत मिलान प्रकिया;
ख. बीज की आवश्यकता वाले बाजार में रखने योग्‍य उत्पादों की पहचान; तथा
ग. बाजार में पहले से मौजूद समाधान के लिए सहयोग लेकिन उनके विनिर्माण बुनियादी ढांचे और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए पर्याप्त पैमाने की आवश्यकता है।

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उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र (आईआरपीएचए) में अनुसंधान में तेजी

विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) डीएसटी के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है। उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र (आईआरपीएचए) योजना में अनुसंधान में तेजी के अंतर्गत, एसईआरबीने महामारी विज्ञान के अध्ययन, सांस संबंधी वायरल संक्रमण के दौरान प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और प्रतिरक्षा अध्ययन, नए एंटी वायरलटीकोंऔर कोविड-19 तथा सांस संबंधी अन्‍य वायरल संक्रमणों के खिलाफ किफायती निदान के राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास के प्रयासों के लिए एक मजबूत अंतर्विषयक घटक काप्रस्‍ताव आमंत्रित किया है। इसके अलावा, एसईआरबीने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की वर्तमान आवश्यकताओं जैसे  (ए) सस्ते और उठाने योग्‍य तेजी से निदान करने वाले सामान या उपकरण, (बी) अभिकलनात्‍मक (कम्प्यूटेशनल) पहचान कोविड-19 आणविक लक्ष्यों की मान्यता, और(सी) प्रमुख कोविड-19 लक्ष्‍यों के खिलाफ दोबारा विचार की जाने वाली दवाएं और प्रतिरक्षा के लिए पोषण की खुराक के इन-विट्रो / नैदानिक ​​खुराक परीक्षण के लिए अल्पकालिक ‘कोर रिसर्च ग्रांट स्पेशल कॉल’ भी आमंत्रित किया।

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पांच परियोजनाओं को मंजूरी

पांच परियोजनाओं के पहले सेट को एसईआरबी ने चुन लिया है, जिसे आगे चलकर कार्यान्वयन योग्य प्रौद्योगिकियों में विकास के लिए समर्थन दिया जाएगा। इन परियोजनाओं में से तीन निर्जीव सतहों के एंटीवायरल और वायरस्टेटिक सतह कोटिंग के अत्यधिक महत्वपूर्ण मुद्दे से जुड़े हैं जैसे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई); चौथा कोविड​​-19 संक्रमित रोगियों में उपापचयी बायोमार्कर की पहचान से संबंधित है जो उपचारात्‍मक लक्ष्‍यों की पहचान को सक्षम बनाता है; और आखिरी कोरोनोवायरस के स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन के रिसेप्टर-बाध्यकारी डोमेन के खिलाफ एंटीबॉडी के विकास से संबंधित है।

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गणितीय मॉडल से संभावना

एक डेटा-संचालित दृष्टिकोण के माध्यम से वायरस की खोज करना और उसका पीछा करना इसे फैलने से रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस दिशा में, एसईआरबीने कोविड-19 फैलने; सांख्यिकीय मशीन के अध्‍ययन, महामारी के आंकड़ों के पूर्वानुमान और उनके निष्कर्ष; महामारी विज्ञान के मॉडल के लिए संक्रामक रोग मॉडलिंग और मात्रात्मक सामाजिक विज्ञान दृष्टिकोण के लिए केंद्रित एल्गोरिदमके गणितीय मॉडलिंग पर अल्पकालिक परियोजना की घोषणा की है। निवारक और इलाज होने योग्‍य उपायों की अनुपस्थिति में, गणितीय मॉडल नए क्षेत्रों में होने वाले निरंतर संचरण की क्षमता का आकलन करने में मदद कर सकते हैं।

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टीडीबी द्वारा आमंत्रित अनुसंधान प्रस्ताव

डीएसटी के अंतर्गत एक सांविधिक निकाय, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने भारतीय कंपनियों और उद्यमों से कोविड19 रोगियों के लिए सुरक्षा और घर-पर आधारित सांस लेने के यंत्रों के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। उद्योग इस महत्वपूर्ण स्थिति में सस्‍ते मास्‍क, किफायती थर्मल स्कैनिंग उपकरण, बड़े क्षेत्रों की स्वच्छता के लिए प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ संपर्क रहित प्रविष्टि, तेजी से निदान किट और ऑक्सीजनेटर, और वेंटिलेटर प्रदान करने में मदद कर सकते हैं।

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सांस लेने की कृत्रिम मैनुअल इकाई (एएमबीयू)

श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी), त्रिवेन्‍द्रम ने सांस लेने की कृत्रिम मैनुअल इकाई (एएमबीयू) पर आधारित एक वेंटिलेटर सिस्टम विकसित किया है। नैदानिक ​​संकाय से जानकारी के साथ संस्थान का स्वचालित एएमबीयू वेंटिलेटर उन गंभीर रोगियों को साँस लेने में सहायता करेगा, जिनकी आईसीयू वेंटिलेटर तक पहुंच नहीं है। प्रौद्योगिकी तेजी से क्लिनिकल परीक्षण और निर्माण में विप्रो 3 डी, बैंगलोर के माध्यम से चली गई है। इस आपातकालीन वेंटिलेटर के अलावा, संस्थान कोविड-19 रोगियों की स्क्रीनिंग के लिए कम लागत वाले एआई- सक्षम डिजिटल एक्स-रे डिटेक्टर विकसित करने के भी प्रयास कर रहा है।

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एंटी-माइक्रोबियल कोटिंग

जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), डीएसटी के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है, जो ठीक होने योग्‍य एंटी-माइक्रोबियल कोटिंग के साथ एक कदम आगे बढ़ा है। यह कोटिंग इन्फ्लूएंजा वायरस और प्रतिरोधी रोगजनक बैक्टीरिया और फंगी को पूरी तरह से मारने में सक्षम है, जिसमें मेथिसिलिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस, फ्लुकोनाज़ोल-प्रतिरोधी सी.अल्बिकंस एसपीपी और वायरस के अनेक प्रकार सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 (सार्स-कोव-19)शामिल है। यह अनुमान है कि कोटिंग सूक्ष्मजीवों को कोटेड सतहों पर सक्रिय नहीं होने देगा। कोविड-19 प्रकोप के दौरान, कोटिंग का उपयोग व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, कपड़े और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के उपकरणों की सुरक्षा के लिए किया जा सकता है।

जमीनी नवोन्‍मेष

नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनएसएफ), डीएसटीकी एक अन्य स्वायत्त संस्था किसी भी व्यक्ति और स्थानीय समुदायों द्वारा किसी भी तकनीकी क्षेत्र में विकसित जमीनी स्तर पर नवाचारों को प्रोत्साहित और समर्थन करती है। एनएसएफने अपनी चैलेंज कोविड-19 प्रतियोगिता (सी3) ’के माध्यम से सृजनात्‍मक और नवीन विचारों के साथ नागरिकों को निम्नलिखित मुद्दों से निपटने के लिए आमंत्रित किया है: (ए) पोषण के लिए स्वस्थ भोजन और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना; (बी) कोरोनावायरस के संचरण को कम करना; (ग) जहां आवश्यक हो, लोगों के हाथ, शरीर, घरेलू सामान और घर, सार्वजनिक स्थानों की सफाई; (घ) लोगों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और वितरण, विशेष रूप से अकेले रहने वाले बुजुर्ग; (ड.) घर पर लोगों के लाभप्रद कार्य; (च) स्वास्थ्य के क्षमता निर्माण के लिए पीपीई और तेजी से नैदानिक ​​परीक्षण सुविधाएं; और (छ) कोविड-19 के दौरान जनसंख्या के अलग-अलग खंड की जरूरतों के बाद के कोरोना कार्यान्वयन की जरूरतों और बदलती जरूरतों के लिए “संपर्क रहित” उपकरणों पर पुनर्विचार करना। आम जनता के बीच वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ाने के अलावा, यह पहल उन्हें महामारी के खिलाफ सरकार के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी।

एस और टी प्रयासों में तालमेल

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, भारत सरकार ने स्‍टार्ट अप में कोविड-19 से संबंधित प्रौद्योगिकी क्षमताओं , शिक्षा, अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं और उद्योग में में मिलान की प्रक्रिया के लिए ‘कोविड-19 कार्य बल’की स्थापना की है। क्षमता मानचित्रण समूह में डीएसटी, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटी), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), अटल नवोन्‍मेष मिशन, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), स्टार्टअप इंडिया और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्‍नीकल एजुकेशन (एआईसीटीई)के प्रतिनिधि शामिल हैं।

500 से अधिक संस्थाओं की पहचान

इस टास्क फोर्स ने नैदानिक,दवाओं, वेंटिलेटर, सुरक्षा गियर, रोगाणुनाशन प्रणाली आदि के क्षेत्रों में 500 से अधिक संस्थाओं की पहचान की है। जिन उपायों की पहचान की गई है, उनमें मास्क और अन्य सुरक्षात्मक गियर, सैनिटाइज़र, स्क्रीनिंग के लिए सस्ती किट, वेंटिलेटर और ऑक्सीजनेटर, डेटा एनालिटिक्स शामिल हैं। एआई और आईओटी-आधारित उपाय के माध्यम से बीमारी के फैलने के बारे में खोज करना, निगरानी करना और नियंत्रण करना शामिल है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी), डीएसटी के एक सहयोगी विभाग, ने भी कोविड-19 अनुसंधान कंसोर्टियम कार्यक्रम की घोषणा की है और इन्‍होंने उद्योग, शिक्षा, उद्योग-अकादमिक भागीदारी के प्रस्ताव मांगे हैं जिसमें सस्ते डायग्नोस्टिक्स, टीके, नोवल चिकित्सा विज्ञान, दवाओं के बारे में दोबारा विचार या कोविड​​-19 के नियंत्रण के लिए कोई अन्‍य उपाय शामिल है।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), अपनी भारतीय टेक्नोलॉजी लीडरशिप की नई सहस्‍त्राब्दि पहल (एनएमआईटीएलआई) के तहत, प्रभावी रोकथाम पहलों के लिए सहायक उपकरण जैसे कि सस्ते वेंटिलेटर, नये डायग्नोस्टिक्स (तेज, सस्ते, अत्याधुनिक), नोवल ड्रग्स या दोबारा विचार करने वाली औषधियों, नए टीके या पुनर्खरीद किए गए टीके, और ट्रैक-एंड-ट्रेस तकनीकों के उद्योगों से प्रस्तावमांग रहा है।
अन्य संस्थानों से अन्य नवोन्‍मेषी, तीव्र और आर्थिक समाधान भी आ रहे हैं। उदाहरण के लिए, सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) ने एक पेपर स्ट्रिप-आधारित परीक्षण जांच विकसित की है। यह परीक्षण जांच एक घंटे के भीतर नोवल कोरोनोवायरस सार्स-कोव -2 के वायरल आरएनए का पता लगा सकती है।
कई शोध समूह इस महामारी के बुनियादी विज्ञान और अन्य सामाजिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जैसे वायरस संरचना विज्ञान और विकास, स्थानीय स्‍तर पर किए जा रहे जोरदार प्रयासों का अनुक्रमण, समुदाय में वायरस कैसे टिकता है, विषैलेपन से जुड़े जेनेटिक रूपांतर, विकास और संचरण पैटर्न, रोगज़नक़ अध्ययन और महामारी संबंधी डेटा के संग्रह से जुड़े आनुवंशिक रूप। कोविड-19 के खिलाफ टीके और चिकित्सीय दवाओं के विकास के लिए ये अध्ययन बहुत आवश्यक हैं।

निजी प्रयोगशालाओं में एस और टी

निजी स्‍तर पर हो रहे प्रयासों और योगदान ने वास्तव में निदान, टीके और नोवल चिकित्सा विज्ञान के विकास की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। पुणे स्थित आणविक डायग्नोस्टिक्स कंपनी, मायलैब डिस्कवरी सोल्यूशंस ने भारत में पहली कोविड-19 रैपिड परीक्षण किट विकसित की है। इस परीक्षण किट को भारतीय खाद्य एवं औषधि प्रशासन, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), और आईसीएमआरद्वारा अनुमोदित किया गया है। यह किट जांच के परिणाम 2.5 घंटे के भीतर दे सकती है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और एपी ग्लोबेलसे हाथ मिलाने के बाद, एक हफ्ते में मायलैब की टेस्ट क्षमता 1.5 लाख टेस्ट से बढ़कर 20 लाख (2 मिलियन) टेस्ट हो गई है।
पुणे स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी पार्क (एसटीपी या साइटैकपार्क) की एक इनक्यूबेट कंपनी डीएसटी के ‘निधि प्रयास’कार्यक्रम के अंतर्गत ‘साइटैक एरोन’नामक उत्पाद के माध्यम से एक नवोन्‍मेषी कोविड-19 रोधी समाधान के साथ आई है। स्टार्ट-अप ने दावा किया कि आयनाइज़र मशीन लगभग सौ मिलियन प्रति 8 सेकंड (प्रति सेकंड 10 आयन) पर नकारात्मक चार्ज किए गए आयन उत्पन्न करती है। इस मशीन में 99.7 प्रतिशत (कमरे के आकार के आधार पर) कमरे के भीतर वायरल का भार कम करने की क्षमता है। यह क्‍वारंटाइन सुविधाओं और अस्पतालों को साफ करने में मदद कर सकता है।
तकनीकी और चिकित्सीय समाधानों के साथ-साथ विज्ञान आधारित आईईसी (सूचना, शैक्षिक और संचार) सामग्री तैयार करना और अधिक से अधिक लोगों के बीच इसका प्रसार करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। इस तरह की आईईसी सामग्री जनता के सामने आने वाले मिथक, दहशत और मनोवैज्ञानिक तनाव को दूर कर सकती है। सरकार के नेतृत्व वाली इस तरह की एआई – आधारित ऐप जिसे ‘कोरोना कवच’ कहा गया है, इस दिशा में विकसित की गई है। अन्य इसी तरह के ट्रैकिंग ऐप उपयोगकर्ताओं को सचेत करने के लिए भी उपलब्ध हैं जब वे एक पुष्‍ट कोरोनोवायरस पॉजीटिव व्यक्ति के नजदीक हैं। हालाँकि, इन ऐपों को अभी तक जनता के बीच पर्याप्त खिंचाव नहीं मिला है।
युद्धस्तर पर व्यापक प्रयास
भारत सरकार कोविड-19 का मुकाबला करने में भारतीय स्वास्थ्य और वैज्ञानिक समुदाय को सुविधाएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सरकारी वैज्ञानिक एजेंसियां ​​समुदाय, शोधकर्ताओं, निजी और सार्वजनिक अनुसंधान प्रयोगशालाओं, स्टार्ट-अप्स, इन्क्यूबेटरों, उद्यमियों और उद्योगों को पूर्ण सहायता प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। निधियन एजेंसियां, देशों के बीच विशेषज्ञता साझा करने के लिए वैश्विक परियोजनाओं के साथ राष्ट्रीय परियोजनाओं को जोड़ने, दोहराव से बचने और आवश्यकता होने पर पूरी प्रक्रिया को गति देने का प्रयास कर रही हैं।
कोविड-19 पर सरकार की अधिकार प्राप्त समिति द्वारा जारी ज्ञापन के माध्यम से21 मार्च को, भारतीय वैज्ञानिकों को कोविड-19 से संक्रमित लोगों से रक्त, नाक और गले के नमूने लेने के लिए पहुंच प्रदान की गई थी। इस घोषणा ने स्थानीय स्‍तर पर कोविड-19 से तनाव, डायग्नोस्टिक किट के विकास, वैक्सीन और अनुक्रमण से संबंधित कई शोध परियोजनाओं को गति दी है। इसके अलावा, सरकार ने सीएसआईआर, डीबीटी, डीएसटीऔर परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) सहित सभी राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं को कोविड-19 का परीक्षण करने की अनुमति दी है। यह स्क्रीनिंग प्रक्रिया को तेज करने और संपर्कों का तेजी से पता लगाने में मदद करेगा।

‘सेंटर फॉर ऑगमेंटिंग वार विद कोविड-19 हेल्थ क्राइसिस’ की स्थापना

डीएसटी ने कोविड-19 की चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए 50 नवाचारों और स्टार्ट-अप्स का मूल्‍यांकन करने और उन्‍हें सहयोग देने के लिए 56 करोड़ रुपये की कुल लागत से 3 अप्रैल को ‘ सेंटर फॉर ऑगमेंटिंग वार विद कोविड-19 हेल्थ क्राइसिस’ (सीएडब्‍ल्‍यूएसीएच) की स्‍थापना की। सीएडब्‍ल्‍यूएसीएचके की स्‍थापना आईआईटीबॉम्बे में एक प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर, सोसायटी फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एसआईएनई) में की गई है। डीएसटी द्वारा समर्थित, सीएडब्‍ल्‍यूएसीएचदेश भर में प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण की प्रक्रिया और पैमाने पर तेजी से नज़र रखने के लिए विभिन्न चरणों में समय पर सहायता प्रदान करेगा। भारत सरकार का दृढ़ विश्वास है कि ये आरएंडडी पहल निश्चित रूप से देश में दूर-दूर तक फैली महामारी पर काबू पाने में मदद करेगी।

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