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राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मिली सरकार की मंजूरी

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है। इसके लिए प्रारंभिक खर्च 19,744 करोड़ होगा। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) संबंधित घटकों के कार्यान्वयन के लिए योजना के दिशानिर्देश तैयार करेगा।

ये होंगे लाभ

जानकारी के अनुसार इस मिशन से 2030 तक कई संभावित परिणाम मिलेंगेः
1. देश में लगभग 125 जीडब्ल्यू की संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ प्रति वर्ष कम से कम 5 MMT (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास
2. आठ लाख करोड़ से अधिक का कुल निवेश
3. छह लाख से अधिक रोजगार का सृजन
4. कुल मिलाकर एक लाख करोड़ से अधिक मूल्य के जीवाश्म ईंधन के आयात में कमी
5. वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी।

कार्बन उत्सर्जन में आयेगी कमी

इसके अलावा ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के लिए निर्यात के अवसरों का सृजन, औद्योगिक, आवागमन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी, आयातित जीवाश्म ईंधन और फीडस्टॉक पर निर्भरता में कमी, स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का विकास, रोजगार के अवसरों का सृजन और अत्याधुनिक तकनीकों का विकास होगा।

ग्रीन हाइड्रोजन की मांग बढ़ेगी

इस मिशन से ग्रीन हाइड्रोजन की मांग, उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्राप्त होगी। ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम (SIGHT) के लिए रणनीतिक क्रियाकलाप को लेकर, मिशन के तहत दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र- इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू निर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को लक्षित किया जाएगा। ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की स्थापना का समर्थन करने के लिए एक सक्षम नीतिगत कार्यक्रम विकसित किया जाएगा। एक मजबूत मानक और नियमन संरचना भी विकसित की जाएगी।

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