नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केरल में पांव पसारते निपाह वायरस ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की नींद हराम कर रखी है। वहां अब तक छह लोगों में संक्रमण की पुष्टि की गई है। इनके निकट संपर्क में आए एक हजार से अधिक लोगों पर गंभीरता से निगरानी रखी जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल का कोझिकोड जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है। इसके अलावा करीब 30 अन्य शहरों में भी संक्रमण के जोखिमों को लेकर लोगों को अलर्ट किया गया है।
कोझिकोड रहा सबसे प्रभावित
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के मुताबिक कोझिकोड जिले में निपाह का प्रकोप फिलहाल नियंत्रण में प्रतीत होता है। पिछले दिनों कोई नया सकारात्मक मामला सामने नहीं आया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वायरस का कोई सेकेंडरी वेब नहीं है, यह सकारात्मक संकेत है। शनिवार को 11 सैंपल के रिपोर्ट सामने आए हैं, जिसमें से सभी नकारात्मक हैं। अब तक संक्रमितों के 1,192 क्लोज कॉटैक्ट्स के बारे में पता चला है जिनपर गंभीरता से नजर रखी जा रही है।
मृतकों की संख्या कम
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि केरल में निपाह के छह संक्रमितों की पुष्टि की गई है जिनमें से दो की मौत हो गई है। बाकी चार लोगों का इलाज चल रहा है। वायरस के जीनोम सीक्वेंसिंग के आधार पर कहा जा सकता है कि वायरस का बांग्लादेशी स्ट्रेन, जो इस समय राज्य में तेजी से बढ़ रहा है, वो जोखिमों वाला हो सकता है। इसलिए विशेष सावधानी और सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि केरल इससे पहले साल 2018 में निपाह की लहर झेल चुका है।
बांग्लादेशी स्ट्रेन को लेकर चिंता
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल में देखा जा रहा बांग्लादेशी स्ट्रेन वैसे संक्रामकता में तो कम है, पर इसके कारण मृत्युदर 40-70 फीसद के बीच की हो सकती है। यह चिंता का कारण है। साल 2018 में राज्य संक्रमण की चपेट में था। इसके बाद एक बार फिर से यहां मामले बढ़े हैं। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर केरल में बार-बार फैल रहे निपाह के संक्रमण का क्या कारण है और पिछली बार की तुलना में क्या इस बार के संक्रमण के लक्षणों में कोई अंतर है?
केरल में ही क्यों निपाह का खतरा?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि राज्य में एक बार फिर से बढ़ रहे संक्रमण के कारणों पर अगर गौर करें तो इसे दो तरह से समझाया जा सकता है। 2018 के प्रकोप में पता चला था कि कोझिकोड क्षेत्र में चमगादड़ निपाह वायरस का स्रोत थे। फिर, वायरस के उसी स्ट्रेन को सभी मामलों से अलग कर दिया गया। यह संक्रमण कई अन्य जानवरों के माध्यम से भी फैल सकता है और इस बार राज्य में देखा जा रहा स्ट्रेन बांग्लादेशी है जिसके कारण गंभीर रोग और मृत्यु का खतरा अधिक हो सकता है।