अजय वर्मा
पटना। कहां 60 दिन में बिहार की स्वास्थ्य सेवा को पटरी पर लाने का ढिंढोरा था और कहां 100 दिन से अधिक हो जाने पर भी वही हाल। बात है खगड़िया में बिना बेहोष किये दो दर्जन महिलाओं की नसबंदी की। कोई भी सुनकर कांप जायेगा उनके साथ हुए वाकये को जानकर।
हाथ-पैर जकड़ा और मुंह में ठूंसी रूई
दरअसल पिछले सप्ताह दो दर्जन से अधिक महिलायें परिवार नियोजन का ऑपरेशन कराने अलौली व परबत्ता स्वास्थ्य केंद्र गई थीं। वहां विभाग की अमानवीयता का ये हाल रहा कि बिना बेहोश किये नसबंदी कर दी गयी। उनके परिजनों से मीडिया में जानकारी आयी कि पहले मेडिकल स्टाफ ने बिस्तर पर लिटा दिया। फिर उनके हाथ-पैर कसकर पकड़ लिए और मुंह में रूई डालकर बिना एनेस्थीसिया (anesthesia) के ऑपरेशन कर दिया। ऑपरेशन के दौरान से लेकर बाद तक महिलायें असहनीय दर्द से देर तक चीखती रहीं।
एनजीओ की कारस्तानी
इसके बाद की जानकारी और चिंता पैदा करने वाली है। जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग ने ‘ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव’ नामक एनजीओ को परिवार नियोजन संचालन का ठेका दिया हुआ है। इसे खगड़िया के सिविल सर्जन अमरनाथ झा भी मानते हैं और कहते हैं कि मामले की जांच शुरू कर दी गयी है और ऐसे अमानवीय कृत्य के लिए जिम्मेदार एनजीओ से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसे ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की गयी है।
राष्ट्रीय महिला आयोग चिंतित
जानना जरूरी है कि राज्य सरकार हर नसबंदी के लिए 2100 रुपये दे रही है। यह भी पता चला है कि उक्त एनजीओ मरीजों को बेहोश करने के लिए ‘ट्यूबेक्टॉमी’ नामक एक प्रक्रिया का उपयोग कर रहा है लेकिन ऑपरेशन के समय यह मरीजों पर काम नहीं कर रहा था। डाली है। इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लेते हुये बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
अररिया में भी हुआ था ऐसा
मालूम हो कि ऐसी ही एक घटना 2012 में अररिया जिले में हुई थी जब 53 महिलाओं का परिवार नियोजन ऑपरेशन बिना एनेस्थीसिया के कर दिया गया था। उस समय दोषी चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उनमें से तीन को जेल भेज दिया गया था।