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MBBS छात्र अब विदेश में भी कर सकेंगे प्रैक्टिस

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। अब भारत के MBBS पास छात्र दुनिया में कहीं भी प्रैक्टिस कर सकेंगे। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को 10 वर्षों के लिए वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन (WFME) मान्यता मिलने से यह संभव हो सका है। इससे वे दूसरे देशों में स्नातकोत्तर भी कर सकते हैं।

विश्वस्तरीय शैक्षणिक सहयोग मिलेगा

इस मान्यता से भारत के सभी मौजूदा 706 आयुर्विज्ञान कॉलेज WFME मान्यता प्राप्त होंगे ही आगामी दस वर्षों में स्थापित होने वाले नए आयुर्विज्ञान कॉलेज स्वतः मान्यता प्राप्त हो जाएंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय केे अनुसार इस कदम से भारतीय आयुर्विज्ञान स्कूलों और पेशेवरों के अंतरराष्ट्रीय पहचान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। इससे शैक्षणिक सहयोग और इसके आदान-प्रदान में भी सुविधा मिलेगी। यह आयुर्विज्ञान शिक्षा में सतत सुधार और नवाचार को बढ़ावा देने के साथ चिकित्सा शिक्षकों और संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण संस्कृति को प्रोत्साहन देगा. वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों के कारण भारत अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए पसंदीदा देश बन सकता है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा

WFME एक वैश्विक संस्था है जिसका मुख्य उद्देश्य आयुर्विज्ञान शिक्षा में उच्च वैज्ञानिक तथा नीतिपरक मानकों को बढ़ावा देने के साथ विश्व भर में आयुर्विज्ञान शिक्षा की गुणवत्ता को बढाना है।. WFME द्वारा प्रदान की गई मान्यता यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि कोई भी चिकित्सा संस्थान शिक्षा और प्रशिक्षण के उच्चतम अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हैं और उसे बनाए रखते हैं।

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