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अब दवा महंगी होगी भारतीय बाजार में, इलाज का खर्च बढ़ेगा

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। दवा कंपनियों के लिए बने नये नियमों से भारतीय बाजार में न केवल किल्लत होगी बल्कि महंगी भी हो जायेगी। इससे लोगों के इलाज का खर्च बढ़ सकता है जबकि भारत सस्ती दवा का केंद्र माना जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा कंपनियों के लिए कुछ नियम बनाए हैं। इनके चलते सस्ती दवा बनाने वाली कई छोटी कंपनियों पर फैक्ट्री बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।

शेड्यूल-एम से बढ़ी परेशानी

जानकारी हो कि कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा कारखानों के कामकाज के तरीकों को लेकर बनाए गए संशोधित नियम शेड्यूल-एम जारी की है। इसके मुताबिक दवा कंपनियों का कार्यालय कितना बड़ा होना चाहिए, फैक्ट्री कितनी बड़ी हो, कौन से संयंत्र और कौन से उपकरण का उपयोग हो, सब तय कर दिये गये हैं। दवा उत्पादन के लिए अच्छे तरीके की भी जानकारी दी गई है। दवा WHO के मानक पर ही बनेंगी। यही नहीं, दवा कंपनियों को हर साल गुणवत्ता समीक्षा और गुणवत्ता जोखिम प्रबंधन की भी समीक्षा करनी होगी।

छोटे उद्योगों को पूंजी की कमी

रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल जुलाई में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने स्पष्ट कर दिया था कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम (MSME) दवा कंपनियों के लिए शेड्यूल-एम अनिवार्य किया जाएगा और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि जिन कंपनियों का साल में 250 करोड़ से ज्यादा का कारोबार है, उन्हें अगस्त 2023 तक इन नियमों का पालन करना होगा। जबकि छोटी कंपनियों को एक साल का समय मिलेगा। इस बारे में लघु उद्योगों के संगठन कहते हैं कि छोटे पैमाने की दवा कंपनियों के लिए इसे लागू करना मुश्किल है। कंपनियां गुणवत्ता पर नियमों का पालन कर सकती हैं, लेकिन उन्नयन के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है। ऐसे में कई कंपनियों को अपना कारोबार बंद करना पड़ेगा।

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