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निष्क्रिय जीवनशैली और कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य संकट है मोटापा

निष्क्रिय जीवनशैली और कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य संकट है मोटापा

भारत में मोटापे की भयावह स्थिति

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के अनुसार 57 फीसद महिलाएँ और 48 फीसद पुरुष ऐसे कमर-हिप अनुपात (WHR) वाले हैं, जिससे उनका मेटाबॉलिक बीमारियों (डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग) का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है। मोटापा अब सिर्फ एक व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में मोटापे की बढ़ती समस्या पर चिंता जताते हुए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, तेल की खपत 10 फीसद तक कम करने और स्वस्थ भोजन एवं व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाने पर ज़ोर दिया।

मोटापे को लेकर हुआ अध्ययन

इसी संदर्भ में हेल्थ सिस्टम्स ट्रांसफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म (HSTP) के शोधकर्ता डॉ. निशिकांत सिंह और डॉ. सुधीर कुमार शुक्ला तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) की शोधकर्ता डॉ. ऋतुपर्णा सेनगुप्ता द्वारा किए गए एक नवीनतम अध्ययन, जो BMC Public Health में प्रकाशित हुआ है, ने बैठे-बैठे काम करने की जीवनशैली (Sedentary Work) और पेट के मोटापे के बीच गहरे संबंध को उजागर किया है। यह अध्ययन 99,653 महिलाओं और 91,990 पुरुषों पर किया गया और इसके निष्कर्ष नीति-निर्माताओं और स्वास्थ्य शोधकर्ताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

मोटापे पर अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

🔴 57.8 फीसद पुरुष और 57.1 फीसद महिलाएँ, जो सेडेंटरी (बैठकर) काम करती हैं, पेट के मोटापे से पीड़ित हैं।
🔴 उच्च आय वर्ग में मोटापे की दर अधिक पाई गई, जो यह दर्शाता है कि केवल आर्थिक स्थिति नहीं, बल्कि जीवनशैली और कार्यशैली अधिक महत्वपूर्ण कारक हैं।
🔴 शहरी क्षेत्रों में पेट का मोटापा अधिक है, जहाँ बैठकर काम करने की प्रवृत्ति और अस्वास्थ्यकर खान-पान इसका प्रमुख कारण बन रहे हैं।
🔴 45-49 वर्ष की 74.1 प्रतिशत महिलाएँ और 50-54 वर्ष के 73.8 प्रतिशत पुरुष सेडेंटरी काम करते हुए पेट के मोटापे से जूझ रहे हैं।
🔴 शराब और तंबाकू का सेवन पुरुषों और महिलाओं में पेट के मोटापे की संभावना को और अधिक बढ़ाता है।
🔴 अध्ययन में पाया गया कि बैठकर लंबे समय तक काम करने से पेट की चर्बी तेजी से बढ़ती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को नुकसान पहुंचाती है और इंसुलिन प्रतिरोध, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग का खतरा बढ़ा देती है।
🔴 कार्यस्थलों पर लंबे समय तक बैठने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की अनदेखी की जा रही है।

मोटापा पर काबू पाने के कुछ सुझाव

✅ कार्यालयों में सक्रिय कार्यसंस्कृति को बढ़ावा देना– स्टैंडिंग डेस्क, वॉकिंग मीटिंग और एक्टिव ब्रेक को अनिवार्य किया जाए।
✅ रोजमर्रा की जीवनशैली में शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाना– प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम को आदत बनाना।
✅ संतुलित आहार अपनाना–अधिक तेल, चीनी और प्रोसेस्ड फूड का सेवन सीमित करना।
✅ नीति-निर्माण में सुधार–कंपनियों को स्वास्थ्य-केंद्रित कार्यस्थल नीतियाँ अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
✅ कार्यस्थल पर स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य किया जाए–नियमित रूप से ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और WHR की जाँच हो।

क्या भारत इस संकट से उबर सकता है?

अगर हम प्रधानमंत्री मोदी की अपील को गंभीरता से लें और कार्यस्थलों पर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दें, तो यह संकट टाला जा सकता है। स्वास्थ्य, कार्यसंस्कृति और नीति-निर्माण में ठोस बदलाव से मोटापे और उससे जुड़ी बीमारियों के बढ़ते खतरे को रोका जा सकता है।

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