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कोविड-19 से लड़ाई में बेहतर है भारतीय रणनीति

कोविड-19 से भारत पर पड़ने वाले प्रभावोंं एवं भारतीय राज्यों की तैयारियों को विस्तार समझा रहे हैं  वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सांसद आर.के.सिन्हा

कोविड-19 विश्वभर में एक ऐसी महामारी के रूप में उभरा है, जो एक प्रकार से पूरे विश्व में ही तीसरे विश्व युद्ध की तरह ही लड़ा जा रहा है। सारे राष्ट्राध्यक्ष अपने-अपने देशों में अपनी ही तरह से लड़ाई लड़ रहे हैं। यह महामारी शुरू तो चीन से हुआ। चीन में भी लगभग तीन महीनों का लॉकडाउन रहा। उसके बाद चीन ने एक सौ सात दिनों के बाद महामारी के जनक महानगर बुहान शहर को कामकाज के लिए खोला। क्योंकि, तब उन चीनी शासन के अनुसार सारे संक्रमित लोग या तो ठीक हो चुके थे, या फिर मर चुके थे। चीन में भी मृतकों की संख्या 4000 बताई जा रही है। लेकिन लोगों का कहना है कि चीन ने मृतकों की संख्या सही नहीं बतायी है। वहां ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं।
मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता। चीन का आंकड़ा 4000 ही मान लेते हैं। अभी तक विश्व में रविवार 19 अप्रैल तक 23,95,636 व्यक्ति संक्रमित हो चुके हैं जिनमें 1,64,565 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। और 6,15,668 लोग स्वस्थ होकर घर भी जा चुके हैं। अमेरिका में यह लड़ाई सबसे खराब तरीके से लड़ी जा रही हैं। अमेरिका तो सबसे सम्पन्न और विकसित देश है। हर तरह की मेडिकल सुविधाएं वहां उपलब्ध हैं लेकिन, अमेरिका में अभी तक 7,59,134 लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें 40,265 लोगों की मौतें भी हो चुकी है और मात्र 69,927 लोग ही स्वस्थ होकर घर गये हैं।

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अमेरिका से बुरी हालत स्पेन की है। स्पेन में भी 1,95,944 मामले सामने आए हैं, जिसमें 20,453 लोगों की मौत हो चुकी है और 77,357 लोग स्वस्थ होकर घर लोटै हैं, जो एक प्रकार से अमेरिका के मुकाबले में बेहतर है। इटली एक ऐसा देश है जहां अमेरिका के बाद विश्व में दूसरे नम्बर की सबसे अच्छी मेडिकल सुविधाएं हैं। लेकिन, इस सुविधा संपन्न देश में भी 178972 लोग संक्रमित हुए जिसमें 23660 लोगों की मौतें हो चुकी है। फ्रांस में 1,52,894 लोग संक्रमित हुए जिसमें 19,718 मौंते हो चुकी हैं। जर्मनी में 1,45,184 लोगों को संक्रमण हुआ जिसमें 4586 मौतें हो चुकी हैं। इनकी तुलना में देखा जाय तो भारत का अबतक का रिकार्ड बहुत ही बढ़िया है। भारत में तो सोमवार की सुबह तक मात्र 16,116 लोग संक्रमित हुए हैं, जिसमें 2302 लोग ठीक होकर घर भी जा चुके है और मात्र 519 लोगों की मौतें हुयी है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा आबादी वाला देश है और मेडिकल सुविधओं के नाम पर अमेरिका, स्पेन, इटली, जर्मनी, फ्रांस और यहां तक कि चीन के सामने भी भारत कहीं भी खड़ा नहीं होता है।

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लेकिन, भारत का वर्तमान नेतृत्व बहुत ही दृढ संकल्प है और बहुत ही मजबूत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सही समय पर पूरे  देश में लॉकडाउन का फैसला लिया और इस लॉकडाउन के कारण ही अभी भी भारत में यह संक्रमण तीसरे स्टेज यानि कम्यूनिटी लेबल पर नहीं आया है। यानि अभी तक घर-मोहल्लों में फैलने वाली कोई बात अभी तक सामने नहीं आई है। लेकिन, ये 15,552 लोग जो संक्रमित हुए हैं उनमें से आधा से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री की सलाह को नहीं माना और तबलीगी मरकज के मौलाना साद की बात को ही माना। ये अपने इलाज के लिए अस्पताल में नहीं गये बल्कि देश भर में घूम घूमकर संक्रमण फैलाते रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि दुर्भाग्य से ज्यादा संक्रमण और मौतें भी मुसलमान भाईयों-बहनों की ही हुई और उन्हीं का ज्यादा नुकसान हुआ। यदि ये चुपचाप सरकार की बात मान लेते तो शायद अबतक भारत करोना महामारी से लड़ाई पर विजय भी प्राप्त कर चुका होता।
अब हम राज्यों की ओर चलें। जब हम राज्यों की बात करते हैं तो सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि इसका मूल्यांकन हम किस प्रकार कर सकते हैं। कोरोना धनत्व में फैलने वाला संक्रमण है। यानि एक दूसरे से ही फैलेगा। अगर कोई आपस में मिलेगें नहीं तो यह फैलेगा भी नहीं। इसलिए राज्यों का प्रति वर्ग किलोमीटर आबादी का घनत्व यानि एक वर्ग किमी में कितने लोग रहते है, उसका आधार मैंने लिया है। घनत्व के मामले में बड़े राज्यों में बिहार सबसे ज्यादा है। दिल्ली भी लगभग ऐसा ही है। लेकिन बिहार की आबादी ज्यादा है। लेकिन, 1102 व्यक्तियों के प्रति किमी घनत्व वाले बिहार राज्य में जिसकी यदि कुल आबादी देखें तो उसकी कुल आबादी पूरे देश में तीसरे नम्बर है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के बाद बिहार में 2011 की जनगणना के मुताबिक 10,38,4637 व्यक्ति थे। इस बिहार में मात्र 86 लोग संक्रमित हुए हैं। जिसमें 37 ठीक होकर घर भी जा चुके हैं और दुर्भाग्य से मात्र 2 मौंते हुई हैं। एक मौत तो बाहर से ही संक्रमित व्यक्ति के पटना एयरपेर्ट पर आने वाले का था, उसको गिने या न गिने बात बराबर है। अब बिहार के बाद सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की ओर चले। तो उत्तर प्रदेश की कुल आबादी जनगणना वर्ष 2011 में 19,95,81,477 थी और प्रति वर्ग किलोमीटर जो घनत्व हैं उसके हिसाब से इसका चौथा स्थान है, यानि 828 व्यक्ति प्रति किलोमीटर उत्तर प्रदेश में रहते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में आजतक 1084 व्यक्ति संक्रमित हुए। 108 व्यक्ति ठीक होकर घर लौटे और 17 की मौत हुई। यहाँ भी तबलीगी जमात का ही ज्यादा योगदान रहा।
अब महाराष्ट्र की ओर चलें जो कि आबादी के हिसाब से देश के दूसरे नंबर का राज्य है। महाराष्ट्र की आबादी 11,23,72,972 वर्ष 2011 की जनगणना के हिसाब से थी। अब इस महाराष्ट्र में तो कोरोना एक भयंकर तूफान सा आया। घनत्व के हिसाब से तो महाराष्ट्र की आबादी मात्र 385 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। महाराष्ट्र संक्रमण के हिसाब से यह एक नम्बर पर है। 3651 लोग संक्रमित हुए, जिसमें मात्र 365 स्वस्थ होकर घर गये और 211 मौंते हुई। अब यह बात अलग है कि महाराष्ट्र की इस भयंकर संख्या में भी दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से लौटे तबलीगी जमात का बहुत बड़ा हाथ है।
अब आइये देखते हैं कि पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है। पश्चिम बंगाल में भी आबादी का घनत्व देश में तीसरे नम्बर पर यानि प्रति वर्ग कि.मी. 1029 व्यक्ति का है। यहां 310 लोग संक्रमित हुए। 62 लोग ठीक हुए और 12 लोगों की मौंते हुई। यहां पर भी तबलीगी जमात का बहुत बड़ा योगदान रहा। इसी प्रकार, दिल्ली तो घनत्व के हिसाब से भी कुछ ज्यादा ही है। प्रति वर्ग कि.मी. यहाँ 1029 लोग रहते हैं। 1893 लोग संक्रमित हुए। 72 ठीक हुए और 43 मौते हुई। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन रोज ही टेलीविजन पर कह रहें हैं कि यहां तबलीगी जमात के लोग ही ज्यादा संक्रमित हैं जिसके कारण उन्हीं की मौंते ज्यादा हो रही हैं। चाहे किसी भी वजह से रही हो, ख़राब परफारमेंस के हिसाब से देखेंगे तो महाराष्ट्र के बाद दिल्ली ही दो नम्बर पर है।
अब आते हैं दिल्ली के पड़ोसी हरियाणा पर। यहां की आबादी का घनत्व थोडा कम यानि 573 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. है। यहां पर भी 233 लोग संक्रमित हुए, 87 लोग ठीक होकर घर लौटे और 3 मौतें हुई। इनका इस लड़ाई में 14वां ख़राब स्थान है। हरियाणा के बाद तमिलनाडु की ओर चलें। तमिलनाडु का प्रति कि.मी. घनत्व 555 है, लेकिन, तमिलनाडु में 1372 लोग संक्रमित हुए। 365 लोग ठीक हुए और 15 मौतें हुई। इस प्रकार से तमिलनाडु का स्थान खराब प्रदर्शन के मामले में देश में 23वां है। पंजाब का घनत्व 550 प्रति वर्ग किलोमीटर है और यहां पर 219 लोग संक्रमित हुए, 31 ठीक हुए और 16 मौतें हुई। इस तरह से पंजाब का स्थान खराब प्रदर्शन में 21वां है।
इसके बाद झारखंड पर आते हैं। झारखंड का धनत्व 414 प्रति वर्ग किलोमीटर है। यहां मात्र 35 लोग अभी तक संक्रमित हुए है। ठीक कोई भी नहीं हुआ है और 2 मौतें हुई है। फिर भी झारखंड खराब प्रदर्शन में 28वें स्थान पर है। यानि कि इसका परफारमेंस संक्रमण पर नियंत्रण के मामले में बहुत अच्छा है। इसके बाद असम की बात करें। असम में 397 प्रति वर्ग किमी लोग रहते है। इनमें 35 लोग संक्रमित हुए हैं, 12 लोग ठीक हुए हैं और एक की मौत हुई है। इस तरह असम का स्थान भी खराब प्रदर्शन में 27वां है। यानि संक्रमण नियंत्रण में बेहतर है।
अब गोवा की बात करें। तो गोवा का भी प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व भी 397 है। यहाँ मात्र 7 लोग संक्रमित हुए थे और सभी 7 अब ठीक हो गये हैं। मौत कोई भी नहीं हुई है। यानि कि गोवा देश का ऐसा प्रदेश बन गया है जो संक्रमण विमुक्त हो गया। यह एक पर्यटन प्रधान प्रदेश के लिये महत्वपूर्ण है।
आंध्रप्रदेश का घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 308 व्यक्ति है। यहां पर भी 603 लोग संक्रमित हुए हैं, 42 ठीक हुए और 15 मौतें हुई है। इस तरह से आन्ध्रप्रदेश का परफारमेंस भी ठीक नहीं माना जायेगा। लेकिन, यहां भी संक्रमण बढ़ाने में दिल्ली मरकज से लौटे तबलीगी ही ज्यादा हैं। गुजरात में तो और भी बुरी हालत हैं यहां 308 प्रति वर्ग कि.मी का घनत्व है। यहाँ 1604 लोग संक्रमित हुए है। 94 ठीक भी हुए, लेकिन 58 मौतें भी हुई है। यहां पर भी प्रशासन तबलीगी जमात को ही दोष दे रहा है, कि वे भारी संख्या में दिल्ली मरकज से लौटकर आये और इन्होंने संक्रमण फैलाया। खराब प्रदर्शन में गुजरात तीसरे स्थान पर है।
उड़ीसा का परफारमेंस भी ठीक ही है। 308 प्रति वर्ग कि.मी. की घनत्व की इनकी आबादी है। उड़ीसा में 61 लोग संक्रमित हुए हैं। 24 ठीक हो गये हैं और मात्र 1 मौत ही हुई है। मध्य प्रदेश का हालत बहुत ही बुरी है। मध्य प्रदेश का मात्र 236 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. की घनत्व की आबादी वाला प्रदेश है। इसमें 1407 लोग संक्रमित हुए है। 127 मात्र ठीक हुए हैं और 70 लोगों की मौतें हुई है। मध्य प्रदेश की सरकार भी तबलीगियों को आरोपित कर रही है कि तबलीगी जमात ने बहुत गलत काम किया है, खासकर भोपाल, इंदौर और उज्जैन में जानबूझकर संक्रमण फैलाया।
अब राजस्थान की स्थिति देख लें। यहां प्रति वर्ग कि.मी. घनत्व 201 का है यहां 1351 लोग संक्रमित हुए है। 183 लोग ठीक हुए हैं और 11 लोगों की मौतें हुई है। छत्तीसगढ़ का परफारमेंस इस हिसाब से बेहतर माना जायेगा। यहां मात्र 23 लोग संक्रमित हुए हैं। 10 ठीक हुए और एक भी मौत नहीं हुई है। इसी प्रकार से उत्तराखंड में जहां मात्र 189 प्रति वर्ग कि.मी. की आबादी है जो बिलकुल छत्तीसगढ़ के ही बराबर है। यहां 42 लोग संक्रमित हुए है। 9 ठीक हो गये हैं और यहां पर भी मौत नहीं हुई है। इन दोनों राज्यों ने संक्रमण नियंत्रण में अच्छा काम किया हैं। मेघालयल में 11 लोग संक्रमित हुए हैं, कोई ठीक नहीं हुआ है। लेकिन, एक की मौत हुई है। जम्मु कश्मीर में 381 लोग संक्रमित हुए हैं, 51 लोग ठीक हो गये हैं और 5 मौतें हुई है। ये सारी मौतें तबलीगी जमात के मरकज से लौटे लोगों की हुयी है।
इस प्रकार से हम देंखे तो सभी राज्य अपनी-अपनी हिसाब से तो अच्छी लड़ाई लड़ रहें है। लेकिन, इसमें गोवा, उत्तराखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, असम की लड़ाई बेहतर है अन्य बड़े राज्यों की तुलना में। इसलिए यह जरूरी है कि सभी लोग एकजुट होकर  लॉकडाउन का पालन करें। अपनी सरकारों की मदद करें। तभी हम इस लड़ाई को ठीक ढंग से जीत सकेंगे। यही सबके हित में है।
 
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं )
 

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