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असम में सात नये कैंसर अस्पतालों की सौगात

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। पूर्वोत्तर का असम कैंसर अस्पतालों का हब बनने जा रहा है। अभी आधुनिक सुविधाओं वाले सात कैंसर अस्पताल मिले हैं तथा सात और अस्पतालों की नींव रखी गई है। ये कैंसर अस्पताल डिबू्रगढ़, कोकराझार, बारपेटा, दरांग, तेजपुर, लखीमपुर और जोरहाट में बने हैं। डिब्रूगढ़ अस्पताल को प्रधानमंत्री ने गुरुवार को राष्ट्र को समर्पित कियाा। धुबरी, नलबाड़ी, गोलपारा, नगांव, शिवसागर, तिनसुकिया और गोलाघाट में सात नए कैंसर अस्पतालों का शिलान्यास भी उन्होंने किया।

कैंसर के इलाज पर विषेष ध्यान

प्रधानमंत्री ने कहा कि बन चुके और बनने वाले कैंसर अस्पताल पूर्वोत्तर के साथ-साथ दक्षिण एशिया में स्वास्थ्य सेवा की क्षमता में वृद्धि करेंगे। असम ही नहीं नॉर्थ ईस्ट में कैंसर एक बहुत बड़ी समस्या रही है। कैंसर के इलाज के लिए कुछ साल पहले तक यहां के मरीजों को बड़े-बड़े शहरों में जाना पड़ता था, जिससे एक बहुत बड़ा आर्थिक बोझ गरीब और मिडिल क्लास परिवारों पर पड़ता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल के बजट में 1500 करोड़ रुपये की योजना-प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर विकास पहल (पीएम-डिवाइन) की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत भी कैंसर के इलाज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और गुवाहाटी में भी इसी तरह की सुविधाएं प्रस्तावित है।

सात प्रयासों पर फोकस

स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सरकार के दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने ‘स्वास्थ्य के सप्तऋषि‘ के बारे में बताया। पहला प्रयास इस बीमारी को होने से रोकना है। इसलिए प्रीवेंटिव हेल्थकेयर पर हमारी सरकार ने बहुत जोर दिया है। दूसरा, यदि रोग होता है, तो उसका शीघ्र निदान किया जाना चाहिए। इसके लिए देश भर में लाखों नए टेस्टिंग सेंटर बनाए जा रहे हैं। तीसरा, लोगों को घर के पास ही प्राथमिक उपचार की बेहतर सुविधा हो। इसके लिए प्राइमरी हेल्थ सेंटरों को सुधारा जा रहा है। चौथा, गरीब को अच्छे से अच्छे अस्पताल में मुफ्त इलाज मिले। इसके लिए आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज दिया जा रहा है। पांचवा, अच्छे इलाज के लिए बड़े-बड़े शहरों पर निर्भरता कम से कम हो। इसके लिए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार भारी निवेश कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले देश में सिर्फ 7 एम्स थे। हमने इन सभी को सुधारा और देश में 16 नए एम्स घोषित किए। छठा, डॉक्टरों की संख्या में कमी को दूर किया जाए। बीते सात साल में एमबीबीएस और पीजी के लिए 70 हजार से ज्यादा नई सीटें जुड़ी हैं। 5 लाख से ज्यादा आयुष डॉक्टर्स को भी एलोपैथिक डॉक्टरों के बराबर माना है। सांतवा, स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटाइजेशन का है ताकि इलाज के लिए लंबी-लंबी लाइनों से मुक्ति हों

दवा की कीमत घटाई सरकार ने

प्रधानमंत्री ने कहा कि कैंसर के इलाज पर अत्यधिक खर्च लोगों के मन में सबसे बड़ी चिंता थी। महिलाओं ने इस इलाज से परहेज किया क्योंकि इसमें परिवार को कर्ज और दरिद्रता में धकेलने की क्षमता थी। सरकार कैंसर की दवाओं को सस्ती कर रही है। जन औषधि केंद्रों में अब 900 से अधिक दवाएं सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं। आयुष्मान भारत योजनाओं के तहत बहुत से लाभार्थी कैंसर के रोगी हैं।

रतन टाटा की बड़ी घोषणा

इस अवसर पर असम के राज्यपाल जगदीश मुखी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई और प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा उपस्थित लोगों में शामिल थे। रतन टाटा ने साफ कर दिया कि वो अपने जिंदगी के अंतिम सालों को स्वास्थ्य के लिए समर्पित करेंगे। उन्होंने असम में 17 कैंसर अस्पताल बनाने की घोषणा कीं वैसे कैंसर अस्पतालों के लिए टाटा ग्रुप का लगाव नया नहीं है। आजादी से 1941 में पहले सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट ने मुंबई में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की शुरुआत की थी।

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