नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। सरकार ने दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए 2021 में राष्ट्रीय नीति (NPRD) शुरू की है। यह जानकारी स्वास्थ्य व परिवार कल्यााण मंत्री डॉ. भारती पी. पवार ने 29 जुलाई को लोकसभा में दी। उन्होंने बताया कि दुर्लभ बीमारियों की पहचान की गई है और उन्हें तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है।
तीन श्रेणियों में चिकित्सा
उनके मुताबिक पहले समूह में एक बार के उपचारात्मक उपचार, दूसरे समूह में उपचार और कम लागत वाले दीर्घकालिक या आजीवन उपचार और तीसरे समूह में ऐसे रोग जिनके लिए निश्चित उपचार उपलब्ध है। इसमें रोगी चयन, बहुत अधिक लागत और आजीवन चिकित्सा की चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आरोग्य निधि की अम्ब्रेला योजना के बाहर NPRD में उल्लिखित किसी भी उत्कृष्टता केंद्र (COE) में किसी भी श्रेणी के दुर्लभ रोगों से पीड़ित रोगियों और उपचार के लिए 50 लाख मिलता है। दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, आसपास के क्षेत्र का रोगी अपने नजदीकी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से संपर्क कर उसका मूल्यांकन करवा सकता है और लाभ प्राप्त कर सकता है।
आठ COE की पहचान
उन्होंने बताया कि दुर्लभ बीमारियों के निदान के लिए आठ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (COE) की पहचान की गई है। आनुवंशिक परीक्षण और परामर्श सेवाओं के लिए पांच निदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा आयातित या स्वदेषी दवा पर टैक्स में छूट का भी प्रावधान है।