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जब घोड़े के रक्त से बच सकी युवक की जान

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। इंदौर के डॉक्टरों ने सारे विकल्प विफल हो जाने के बाद घोड़े के खून के प्लाज्मा से एक युवक की जान बचा ली। लगभग तीन माह तक इलाज चला और स्वस्थ होने के बाद हॉस्पिटल से इस मरीज की घर वापसी हो गई। युवक अप्लास्टिक एनीमिया नामक खतरनाक जानलेवा बीमारी से जूझ रहा था।

तीन माह से युवक था बीमार

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गुना का रहने वाला जतिन करीब तीन माह पहले वह सुपर स्पेशलिएलिटी में काफी खराब हालत में आया था। उसके शरीर में खून की मात्रा काफी कम हो गई थी। हीमोग्लोबिन 2 ग्राम, प्लेटलेट्स 6 हजार और WBC एक हजार हो गए थे। उसके नाक और कान से लगातार ब्लीडिंग हो रही थी। बोनमैरो परीक्षण में पता चला कि वह काम ही नहीं कर रहा है। ऐसी स्थिति में उसका अप्लास्टिक एनीमिया लेवल कर उसी दिशा में इलाज शुरू किया गया।

बोनमैरो फेल होने पर विकल्प

डॉक्टर के मुताबिक जिन मरीजों का लिवर, किडनी फेल हो जाते है तो ऐसे मरीजों में दूसरों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट किये जाते हैं। इसी तरह जब किसी मरीज का बोनमैरो फेल हो जाता है यानी खून बनना बंद हो जाता है तो उसे अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी कहते है। इसके इलाज के लिए बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि ट्रांसप्लांट वाले बोनमैरो के जीन्स उस पीड़ित मरीज से मैच नहीं करती। ऐसे हालातों में मरीज का इलाज घोड़े के खून से एंटी बॉडी लेकर ATG यानी एंटी-थाइमोसाइट ग्लोब्युलिन थेरेपी के माध्यम से किया जाता है।

ऐसे होते हैं लक्षण

अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी के लक्षण ऐसे होते हैं-शरीर मे लगातार कमजोरी और थकान बने रहना, श्वांस संबधित समस्या का बढ़ते जाना, अचानक हार्टबीट बढ़ जाना, त्वचा का पीला पड़ना, लंबे समय तक इन्फेक्शन, नाक और मसूड़ों से रक्तस्राव, लाल रंग का चकत्ता होना, सिर चकराना, बार बार सरदर्द, बुखार बने रहना, छाती में दर्द आदि।

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