स्वस्थ भारत मीडिया
आयुष / Aayush

तंबाकू मुक्त भारत से ही होगा स्वस्थ भारत का निर्माण

आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस है। इस अवसर पर धुएं में स्वाहा होती जिंदगियों को बचाने का अनुरोध कर रहे हैं वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनुरुद्ध वर्मा

 

डॉ अनुरुद्ध वर्मा,
पूर्व सदस्य, केंद्रीय होम्योपैथी परिषद्

एसबीएम विशेष
वर्तमान समय में  तंबाकू एवं धूम्रपान की लत पूरे विश्व में जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बनी हुई है। पूरा चिकित्सा जगत इस समस्या से चिंतित है कि किस प्रकार इससे मुक्ति पाया जाए। तंबाकू के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्परिणाम एवम् उससे होने वाली बीमारियों के कारण पूरी चिकित्सा व्यवस्थाएं चरमरा गईं हैं। तंबाकू की वजह से होने वाली बीमारियों से जन हानि के साथ-साथ इनके उपचार पर होने वाले अतिरिक्त वित्तीय खर्च से देशों का विकास प्रभावित होता है तथा तंबाकू जनित बीमारियों के उपचार में होने वाले खर्च से परिवार भी तबाह हो जातें हैं।
भारत में तंबाकू जनित बीमारियों से  प्रति वर्ष 10 लाख से ज्यादा होती है मौत 
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिवर्ष 31 मई को तंबाकू के प्रयोग से स्वास्थ्य पर होने वाले खतरों के प्रति आम जनमानस में जागरूकता उत्पन कर तंबाकू के कारण होने वाली तबाही को रोकने के लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस का आयोजन किया जाता है। तंबाकू एवँ धूम्रपान से होने वाली बीमारियों की गंभीरता का अनुमान विश्व स्वास्थ्य संगठन के इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि दुनिया में प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख लोग तंबाकू जनित बीमारियों के कारण असमय मौत का शिकार हो जातें हैं तथा भारत मे यह आंकड़ा 10 लाख से ऊपर है।
तंबाकू पर सबसे पहले जहांगीर ने टैक्स लगाया था
भारत मे संभवतः तंबाकू पुर्तगालियों के समय से प्रारंभ हुआ और जहांगीर ने इस पर पहली बार टैक्स लगाया था जो अब तक जारी है। एक अनुमान के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की अपेक्षा तंबाकू का सेवन ज्यादा किया जाता है। देश में तंबाकू का प्रयोग सिगरेट, बीड़ी, हुक्का,खैनी, गुटखा आदि के रूप में किया जाता है।
तंबाकू सेवन से होती है ये बीमारियां
तंबाकू खाने से जहां मुंह का कैंसर,पेट का कैंसर,पैंक्रियाज का कैंसर, लिवर के कैंसर आदि सामान्य बात है वहीं पर धूम्रपान के कारण 90% फेफड़े के कैंसर,30% अन्य प्रकार के कैंसर, 80% ब्रोंकाइटिस, इम्फिसिमा एवं 20 से 25% घातक हृदय रोगों की आशंका बढ़ जाती है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार 5 से 10 सिगरेट प्रतिदिन पीने वालों को दिल का दौरा पड़ने की आशंका दो गुना बढ़ जाती है साथ ही धूम्रपान से एलर्जी, आंखों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
गर्भ पर भी पड़ता है बुरा असर
अब तो आलम यह है कि महिलायें एवं लड़कियां भी धूम्रपान करने लगी हैं जिससे उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी खतरनाक कुप्रभाव पड़ सकता है, जिससे समय पूर्व प्रसव, मृत शिशु, गर्भावस्था में ही शिशु की मृत्यु, कम वजन के बच्चे काजन्म, कमजोर बच्चे का जन्म होना एवम् मानसिक रूप से कमजोर बच्चे के जन्म की समस्या हो सकती है। इस तरह जन्म से ही बीमारी से युक्त बच्चों के जिंदा रहने की संभावना कम हो जाती है। दूसरी ओर महिलाओं में शारीरिक कमजोरी, सांस संबंधी दिक्कतें, गर्भ धारण में परेशानी, अनियमित मासिक, भूख का कम लगना, फेफड़े ,मुंह का कैंसर, बांझपन, मुंह से बदबू, कमजोरी आदि की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
तंबाकू सेवन से नपुंसकता का खतरा बढ़ जाता है
आधुनिकता की दौड़ में अब छात्रों एवं युवाओं में तंबाकू एवं धूम्रपान की लत तेजी के साथ बढ़ती जा रही है। यहां तक की 10-12 साल के बच्चे भी तंबाकू, सिगरेट, गुटखा आदि का प्रयोग करने लगें हैं। इसके कारण वह अनेक गंभीर बीमारियों का शिकार होकर जवानी में ही बूढ़े हो रहें है। सबसे बड़ी बात यह है कि धूम्रपान से नपुंसकता का खतरा भी बढ़ जाता है। युवकों में धूम्रपान एवम तंबाकू के प्रयोग के कारण उनके काम करने की क्षमता कम हो जाती है। जिसका विपरीत प्रभाव देश के विकास पर पड़ता है।
धूम्रपान दूसरों को भी नुकसाान पहुंचाता हैै
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि सिगरेट के धुएं से केवल धूम्रपान करने वाले को ही नुकसान नहीं होता है बल्कि उनके संपर्क में रहने वाले आस पास के लोगों दोस्तों, बच्चों, महिलाओं एवं अन्य पारिवारिक सदस्यों को भी होता है अनजाने में ही धूम्रपान करने वाला व्यक्ति उन्हें भी अनेक जानलेवा बीमारियां बांट देता है। धूम्रपान करने वाला आपके स्वास्थ्य का दुश्मन है।
इसके कारण तंबाकू का लत नहीं छूटता जल्दी
धूम्रपान से छोड़े गए धुएं से पर्यावरण प्रदूषित होता है साथ में तंबाकू खाकर थूकने से गंदगी फैलती है तथा अनेक संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। तंबाकू में निकोटिन अलकोलॉइड होता है जो में तंबाकू की लत उत्पन करता है। इसी लत के कारण रोगी तंबाकू चाहकर भी कई बार नहीं छोड़ पाता।
तंबाकू सेवन करने वालों को कोरोना ने ज्यादा परेशान किया है
इस समय सारी दुनिया कोरोना के संक्रमण से परेशान है ऐसा पाया गया है कोरोना का संक्रमण उनको ज्यादा हुआ है जो हृदयरोग,कैंसर,फेफड़ों के कैंसर, सांस के रोगों से ग्रसित थे। तंबाकू एवम धूम्रपान से इन रोगों की आशंका ज्यादा होती है। इसलिए ऐसे लोगों को सचेत हो जाना चाहिए। तंबाकू के कारण दांतो के अनेक रोग जैसे पायरिया, दांतों की सड़न, दांतों का कमजोर होना तथा धूम्रपान से आंखों में जलन, गले में जलन, छींक, नाक, गले मे जलन,बालों का गिरना आदि  की शिकायत भी हो सकती है।
तंबाकू सेवन  से कार्य-क्षमता घटती है
धुम्रपान एवम तंबाकू से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव तो पड़ता ही है, ऐसा पाया गया है इसके लती लोग अपने कार्य के प्रति लापरवाह होते हैं जिससे उनकी कार्य क्षमता घटती है जिसका उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इनको अनेक प्रकार की बीमारी हो जाती है जिसका देश के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि यह जानते हुए की तंबाकू से कैंसर हो सकता है, सिगरेट और तंबाकू के डिब्बे पर तंबाकू एवं सिगरेट का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा होता है। बावजूद इसके इसका उपयोग करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।
तंबाकू मुक्त भारत से ही स्वस्थ भारत का  होगा निर्माण
यह जानते हुए की तंबाकू का सेवन देश के नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक है सरकार थोड़े से राजस्व के लाभ के लिए उस पर रोक नहीं लगा पा रही है जबकि इससे होने वाले नुकसान फायदे से ज्यादा है। इसलिये तंबाकू एवं सिगरेट के निर्माण एवं बिक्री पर तत्काल रोक लगाना जरूरी है साथ ही इनके प्रचार पर भी रोक लगनी चाहिए। तंबाकू एवम धूम्रपान रोकने के लिए जो नियम बने हैं उनका सख्ती के साथ पालन होना चाहिए। तंबाकू एवम धूम्रपान छुड़ाने के लिए काउंसिलिंग बहुत जरूरी है क्योकि सही कॉन्सिलिंग से 60 % लोगों की तंबाकू की लत को छुड़ाया जा सकता है तथा 80 % लोगों को आराम दिया जा सकता है। सरकार एवं जनता को ऐसा वातावरण बनाना होगा कि तंबाकू  मुक्त समाज बन सके और स्वस्थ भारत का निर्माण हो सके।
यह भी पढ़ें
कोविड-19 के खिलाफ महत्वपूर्ण हो सकती है आयुष से यह साझेदारी
कोविड-19 की रोकथाम में होम्योपैथी की अनदेखी से होम्योपैथिक जगत में फैल रहा है रोष
World Hypertension Day 2020:हल्के में ना लें उच्च रक्तचाप को सतर्क रहें, नियंत्रित रखें और स्वस्थ रहें…
कोविड-19 से लड़ने में एचआईवी दवाओं से अधिक कारगर कांगड़ा चाय
न्यूरो फिजियोथिरेपिस्ट की सलाह ऐसे पाएं पीठ दर्द से निजात

Related posts

गौ संवर्धन से पर्यावरण संरक्षण में हाथ बटाइए :डॉ. वल्लभ भाई कथिरिया, चेयरमैन कामधेनु आयोग

Myth & misconception about Homoeopathy

TREATMENT AND MANAGEMENT OF COVID-19: HOMOEOPATHIC PERSPECTIVE

Ashutosh Kumar Singh

Leave a Comment