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जम्मू में बायोनेस्ट-बायो इनक्यूबेटर लॉन्च, मिलेगी वैकल्पिक आजीविका

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। जम्मू क्षेत्र में स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने और वैकल्पिक आजीविका प्रदान करने के लिए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय अपनी विभिन्न एजेंसियों और विभागों जैसे वित्त, प्रौद्योगिकी और परिवहन के माध्यम से विभिन्न तरीकों से सहायता प्रदान कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप जम्मू में CSIR-IIIM के साथ 64 स्टार्ट-अप पहले ही पंजीकृत हो चुके हैं। यह 14 उत्पाद बनाती है। इनमें चार पहले ही बाजार में पहुंच चुके हैं।

मिलेंगे आजीविका के वैकल्पिक स्रोत

यह बात यहां केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने आज सुबह सीएसआईआर-आईआईआईएम, जम्मू के बायो-नेस्ट-बायोइनक्यूबेटर का उद्घाटन करते हुए कही जो इस क्षेत्र के हजारों युवाओं को आजीविका के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करेगा। बायो-नेस्ट को देश में बायोटेक इनोवेशन इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देने के लिए बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) द्वारा लंच किया गया। आईटी क्षेत्र में स्टार्ट-अप के विपरीत बायोटेक क्षेत्र में उद्यमी विचारों को अलग तरह के इनक्यूबेशन सपोर्ट की जरूरत होती है, जहां उन्हें अपने विचारों का परीक्षण करने, कार्य संचालन करने, उच्च स्तरीय उपकरणों तक पहुंच बनाने और एक ऐसी जगह का पता लगाने के लिए स्थान की आवश्यकता होती है, जहां वे अन्य स्टार्ट-अप और परामर्शदाता से जुड़ते हैं। बायो-नेस्ट प्रोग्राम बायो-इनक्यूबेटर्स को या तो स्वचलित इकाई के रूप में या अकादमी के एक हिस्से के रूप में स्थापित करने के लिए सहायता प्रदान करता है। उन्होंनेे कहा कि CSIR-IIIM, जम्मू के साथ पंजीकृत 64 स्टार्ट-अप जन केंद्रित परियोजनाओं पर आधारित हैं, 14 उत्पाद विकसित किए जा चुके हैं और चार पहले ही बाजार में पहुंच चुके हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि इस तीव्र गति के साथ, आईआईआईएम अब और नए स्टार्ट-अप के पंजीकरण की प्रक्रिया को तेज करेगा।

स्टार्टअप्स को प्रेरणा मिलेगी

डॉ. सिंह ने कहा कि इसका उद्घाटन और स्टार्ट-अप के साथ संवाद से पीएम की रैली में प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी को प्रोत्साहन मिलेगा। पीएम नरेन्द्र मोदी रविवार को सांबा जिले के पल्ली में’ पंचायती राज दिवस’ समारोह में हिस्सा लेने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यह आयोजन स्टार्ट-अप्स को प्रेरित करेगा और देशभर में आजीविका के नए अवसरों के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद करेगा। उन्होंने स्टार्ट-अप उद्यमियों को बताया कि राष्ट्रीय महत्व के इस संस्थान ने अरोमा मिशन की शुरूआत की है, जिसने क्षेत्र में रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए रास्ते खोले हैं। उन्होंने कहा कि लेवेंडर ने क्षेत्र के किसानों के बीच भारी लोकप्रियता हासिल की है क्योंकि छनाई, तेल उत्पाद और अपशिष्ट पुनर्प्रयोजन क्षेत्र की आबादी के लिए उभरते हुए नए मार्ग हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह वर्तमान अर्थव्यवस्था की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि देश और विदेश में इसकी भारी मांग है और इससे देश के लिए मूल्यवान विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर सकते हैं।

उत्पाद बेचने में भी सहायक

डॉ. सिंह ने कहा कि इस बात का व्यापक प्रचार करने की आवश्यकता है कि IIIM, जम्मू अरोमा मिशन और लेवेंडर की खेती से जुड़े स्टार्ट-अप को उनके उत्पाद बेचने मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि मुंबई स्थित अजमल बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, अदिति इंटरनेशनल और नवनैत्री गमिका आदि जैसी प्रमुख कंपनियां प्राथमिक खरीदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डेयरी स्टार्ट-अप में शुद्ध दूध के उत्पादन के लिए आधुनिक डेयरी फार्मों की स्थापना को बढ़ावा देने, बछिया पालन को प्रोत्साहित करने और स्वरोजगार पैदा करने की भारी संभावना है।

कार्बन मुक्त सोलर प्लांट स्थापित

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कार्बन मुक्त सोलर प्लांट यानी सौर संयंत्र कुल 6,408 वर्ग मीटर क्षेत्र में स्थापित किया गया है और इसे 18 दिनों के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है। इससे पंचायत में 340 घरों को स्वच्छ बिजली और रोशनी मिलेगी। डॉ. सिंह ने बताया कि इसे केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के तहत सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, सार्वजनिक उपक्रम द्वारा तैयार किया गया है।

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