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जानें कोविड-19 का ‘रामबाण दवा’ कैसे बना ‘भीलवाड़ा मॉडल’

कोविड-19 पर विजय प्राप्त करने के लिए भीवलाड़ा जिला को रोल-मॉडल माना जा रहा है। इस जिले की पूरी कहानी बता रहे हैं वरिष्ठ फार्मासिस्ट एवं लेखक देवेन्द्र श्रीमाधोपुर

 
नई दिल्ली/एसबीएम विशेष
कोविड-19 का पहला हॉटस्पॉट राजस्थान का भीलवाड़ा जिला बना था। समय रहते इस जीले ने कोविड-19 की चेन को ब्रेक करने में सफलता पाई। महज 20 दिनों में यह जिला विजयी बनकर उभरा। यहीं कारण है कि आज पूरे देश में भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा हो रही है। यहां के स्थानीय प्रशासन की वाहवाही मिल रही है। देश के अन्य जिलों से भी भीलवाड़ा मॉडल लागू करने की मांग उठ रही है। इन सबके बीच यह जान लेना जरूरी है कि आखिर कोविड-19 की रामवाण दवा  ‘भीलवाड़ा मॉडल’ है क्या?

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हॉट-स्पॉट भीलवाड़ा की विजय-गाथा
कोविड-19 का का वायरस भीलवाड़ा के निजी चिकित्सक को अपना पहला शिकार बनाने में सफल हुआ। 19 मार्च को इसकी जानकारी मिली की कोरोना वायरस का अटैक भीलवाड़ा जिला में भी हो चुका है। इसकी जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आ गया। जिला कलेक्टर राजेन्द्र भट्ट ने पूरे जिले में कर्फ्यू लगा दिया। राजेन्द्र भट्ट के इस निर्णय का दूरगामी प्रभाव पड़ा। इसे इस लड़ाई का मील का पत्थर भी कहा जा सकता है। इस फैसने ने सामुदायिक संक्रमण की आशंका को कमतर कर दिया।

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यह थी चुनौती
कर्फ्यू लगाने के बाद प्रशासन के सामने इन मरीजों की जद में आए लोगों को ढूढ़ना एक बड़ी चुनौती थी। लोगों को ढूढ़कर उनकी स्क्रीनिंग का कार्य सबसे महत्वपूर्ण था। इन सबके बीच जिला प्रशासन ने उस निजी चिकित्सालय को सील किया जहां से कोविड-19 का फैलाव हुआ था। 22 फरवरी से 19 मार्च तक आए मरीजों की सूची बनाई गई। 4 राज्यों के 36 और राजस्थान के 15 जिलों के 498 मरीजों के गृह क्षेत्रों के जिलाधिकारियों को सूचना दी गई। इन सभी मरीजों को आइसोलेट करवाया गया। कोविड-19 प्रभावित हॉस्पिटल के 253 स्टाफ कर्मियों व अस्पताल आए जिले के 7 हजार मरीजों की स्क्रीनिंग की गई।

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जिला प्रशासन ने हार नहीं मानी
इसी प्रक्रिया के दौरान ही 27 कोविड-19 पॉजीटिव मरीजों की पुष्टि हुई। जिला में ही नहीं बल्कि पूरे देश में भीलवाड़ा एक बड़ा कोविड-19 हॉट-स्पॉट के रूप में बदनाम हुआ। लेकिन जिला प्रशासन ने हार नहीं मानी। मुश्किल दौर में संयम,धैर्य एवं परिश्रम से काम किया। जिसका नतीजा आज पूरा देश देख रहा है।
इस ऐतिहासिक फैसले ने भीलवाड़ा को बनाया रोल मॉडल
जब भीलवाड़ा को पूरे देश में सबसे बड़ा हॉट स्पॉट बताया जा रहा था, ठीक उसी समय जिला प्रशासन ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया। जिले के हर घर/आदमी की स्क्रीनिंग का फैसला लिया गया। जिले के 25 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई। इस कार्य के लिए 6 हजार कर्मचारी लगे और 7 हजार से अधिक संदिग्ध लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया। 1 हजार लोगों को 24 होटल / रिसोर्ट / धर्मशालाओं में क्वारंटाइन किया गया। सर्वे में जिस भी क्षेत्र या गांव में कोरोना संक्रमित मरीज मिला उसे सेंटर प्वाइंट मानते हुए एक किमी की नो मूवमेंट जोन घोषित कर दिया गया। पूरे जिले की सीमाएं सील करने के साथ परिवहन के सभी साधन बंद कर दिए गए। इस निर्णय से कोविड-19 की चेन को तोड़ने में सफलता मिली।
चिकित्सकों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया
इन सब के साथ-साथ जिला अस्पताल में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज भी जारी रहा। इसमें कार्यरत चिकित्सक और स्टाफ की साप्ताहिक ड्यूटी लगाई गई। उसके बाद उनकी ड्यूटी चेंज कर उन्हें भी 14 दिन के क्वारांटाइन में भेजा गया ताकि इससे संक्रमण फैलने से रोका जा सके।  इसका सकारात्मक पक्ष यह रहा कि कोविड-19 मरीजों के इलाज में जुटे 69 चिकित्साकर्मियों में एक भी कर्मचारी संक्रमित नहीं हुआ।
और अंत में चलाया गया ब्रम्हास्त्र
संक्रमण रोकने के अगले चरण में वहां 3 अप्रैल से 13 अप्रैल तक महा कर्फ्यू लगाया गया। कर्फ्यू में लोगों को खाने-पीने का राशन मिलता रहे इसका पूरा ख्याल रखा गया। इसके लिए सहकारी भंडार के जरिए घर-घर राशन/सब्जियां तथा डेयरी के जरिए दूध भिजवाया गया। इसके अलावा गरीब और असहाय लोगों को निशुल्क भोजन व राशन सामग्री वितरित की गई। पूरे शहर के 55 वार्डों में नगर परिषद द्वारा सेनेटाइजेशन किया गया।
परिणाम विजयी रहा
अब हालात सुधरने लगे और पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट भी नेगेटिव आने लगी तो सबने राहत की सांस ली। हालांकि कुछ गंभीर रोगियों को छोड़कर 21 मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई है, इनमें से भी 15 को घर भेज दिया गया है। सबके सामुहिक प्रयासों और जनसहयोग से भीलवाड़ा ने मात्र बीस दिन में कोविड-19 को हराने में सफलता पाई है।
अभी पिछले कई दिनों से वहां कोई नया पॉजिटिव केस नहीं मिला है। जिला कलेक्टर राजेन्द्र भट्ट की ठोस रणनीति, जीतने की ज़िद और सभी विभागों के सफल आपसी समन्वय ने भीलवाड़ा को विजयी बनाया है। यहीं कारण है कि आज कोविड-19 से लड़ने के लिए ‘भीलवाड़ा मॉडल’ को कोविड-19 का ‘रामबाण दवा’ माना जा रहा है।-

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